सोनी सब के कलाकारों ने क्‍या कहा ‘गुड़ी पाड़वा’ के मौके पर

शहज़ाद अहमद 

अकक्षय केलकर (सोनी सब के ‘भाखरवड़ी’ के अभिषेक) मराठियों के लिये यह साल का पहला त्‍यौहार होता है और इसी के साथ होता है एक खुशहाल तथा समृद्ध साल का आरंभ। हम घर में रंगोली बनाते हैं और गु‍ड़ी रखते हैं। इस साल मैं घर पर अपने परिवारवालों के साथ यह त्‍यौहार मनाऊंगा और अपनी आई के हाथ से बने स्‍वादिष्‍ट मीठे प‍कवान खाने का मुझे बेसब्री से इंतजार है। मुझे मीठा बहुत पसंद है, इसलिये आई आम्रखंड और ढेर सारे महाराष्ट्रियन व्‍यंजन बनाती हैं। मुझे याद है, बचपन में मेरी मां हमारे बरामदे में एक विशाल-सा संस्‍कार भारती रंगोली बनाया करती थीं। मैं उनके साथ बैठकर उनकी मदद किया करता था। मैं एक कलाकार हूं और इस त्‍यौहार के कारण मैंने संस्‍कार भारती रंगोली बनाना सीखा। थाणे में ‘गुड़ी पाड़वा’ के दिन मैं रैली मे हिस्‍सा लेने के लिये बड़ा ही उत्‍सुक रहा करता था। नये-नये कपड़े पहनने और अपने दोस्‍तों से मिलकर उन्‍हें शुभकामनाएं देने की उत्‍सुकता रहती थी। इस साल घर पर रहकर अपने परिवारवारों के साथ ‘गु‍ड़ी पाड़वा’ मनायें और हंसी-खुशी के साथ नये साल का स्‍वागत करें।

स्‍मिता सरवडे (सोनी सब के ‘भाखरवड़ी’ की ज्‍योत्‍सना)
‘गुड़ी पाड़वा’ मराठियों का एक त्‍यौहार है और इस दिन से महाराष्ट्रियन साल की शुरुआत होती है। यह साल का पहला दिन होता है और मैं इस दिन को अपने परिवारवालों और करीबी दोस्‍तों के साथ मनाना पसंद करती हूं। इस दिन हम  ‘गुड़ी’ को सजाते हैं और एक बड़ी छड़ी पर उसे रखते हैं, जिसका हिस्‍सा घर के बाहर की तरफ होता है। मुझे ‘गुड़ी’ को पूरी तरह सजाना पसंद है। मुझे ऐसा लगता है कि यह त्‍यौहार एक अनुभव की तरह होता है और हर बच्‍चे को इसका अनुभव जरूर करना चाहिये। अपने दादा-दादी, नाना-नानी और पेरेंट्स के साथ रिश्‍ते को मजबूत बनाने के लिये बहुत ही अच्‍छा दिन होता है। हमारे यहां बची हुई चीजों से घर पर श्रीखंड और पूरी बनाने का रिवाज है। मैंने जैसा बताया कि श्रीखंड और पूरी बनाने का रिवाज बचपन से लेकर अब तक है। इस साल मैं शूटिंग नहीं कर रही हूं तो मैं ‘गुड़ी पड़वा’ अपने परिवारवालों के साथ मनाऊंगी। इस साल बाकी लोगों से मिलना-जुलना नहीं होगा। सबको सुरक्षित और खुशियों भरी ‘गुड़ी पड़वा’ की शुभकामनाएं।

सोनाली नाईक (सोनी सब के ‘मैडम सर’ की पुष्‍पा)
मैंने बचपन से ही अपनी नानी और मां को ‘गुड़ी पाड़वा’ को बड़े ही धूमधाम से मनाते हुए देखा है। इस दिन हम शॉपिंग के लिये जाते हैं, घर को सजाते हैं। और ‘गुड़ी पाड़वा’ एक ऐसा त्‍यौहार है, जो वाकई मेरे दिल के बेहद करीब है। इस दिन से मेरी बहुत ही खूबसूरत यादें जुड़ी हैं, अपनी मां और बहन के साथ मिलकर गुड़ी के लिये सबसे अच्‍छी साड़ी ढूंढने से लेकर, गुड़ी के लिये पीतल के बरतन कौन बेहतर साफ कर सकता है, इसको लेकर बड़ी बहन से झगड़ा करना। मेरे घर की परंपरा इसी तरह जारी है  क्‍योंकि हर साल ही मैं अपनी बेटी के साथ मिलकर गुड़ी को सजाती हूं। मैं चाहती हूं कि मैं अपनी बेटी को इस त्‍यौहार पर घर के रीति-रिवाजों और उसके महत्‍व के बारे में बताऊं। इस मौके पर मैं अपने पति और बेटी के लिये पूरनपोली बनाती हूं। मेरे ससुराल में पूरनपोली बनाने की परंपरा है लेकिन मेरी मां श्रीखंड बनाती हैं, जोकि हम बचे हुए सामान से बनाते हैं। मैं चोरी-छुपे श्रीखंड चख लिया करती थी। मैं अपने फैन्‍स से कहना चाहूंगी कि इस त्‍यौहार को पूरे प्‍यार और समर्पण के साथ मनायें। अभी दुनिया में जिस तरह की परीक्षा की घड़ी चल रही है, ऐसे में इस दिन अपने परिवारवालों के साथ मिलकर घर पर खुशियां फैलायें।

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